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ये दिल और उनकी निगहों के साये । प्रेम पर्वत -1973

                                                फिल्‍म- प्रेम पर्वत -1973
                                                 लता मंगेशकर
ये दिल और उनकी निगहों के साये ।
मुक्षे धेर लेते है ,बाहों के साये ।। 2
हूं हूं - --
पहाडों को चंचल किरण चूमती है ।
हवा हर नदी का बदन चुमती है ।।
यहॉ से वहॉ तक है चाहों के साये
                  ये दिल और उनकी निगहों के साये ।
                   मुक्षे धेर लेते है ,बाहों के साये ।। 2
लिपटते ये पेडों से बादल धने रे ।
ये पल पल उजाले ये पल पल अंधेरे ।।
बहुत ठंडी ठंडी है राहों के साये ।।
                     ये दिल और उनकी निगहों के साये ।
                    मुक्षे घेर लेते है ,बाहों के साये ।। 2
ल ला ललला--------------------------------------
धडकते है दिल कितनी आजादियों से ।
 बहुत मिलते जुलते है इन वादिंयों से ।।
महोब्‍बत की रंगी पनाहों के साये ।
                     ये दिल और उनकी निगहों के साये ।
                    मुक्षे घेर लेते है ,बाहों के साये ।। 2
                    ल ला ललला--------------------------------------
               


   

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