गर्मी जिसे तपा दे , ठंड जिसे कपा दे। जो हर मौसम मे दुःख , झेलने का आदि है , इस भूतल पर संर्घषरत कर्मयोगी वह मानव जाती है । डाँ. कृष्णभूषण सिंह
साहित्य उन्माद मेरे हिन्दी साहित्य रचनाओं का एक संगृह है
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